आत्महत्या एक डरावनी प्रेम कहानी # लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता -09-Sep-2022
आत्महत्या एक डरावनी प्रेम कहानी
जरूरी नहीं कि हर प्यार करने वालों को उनका प्यार मिल ही जाए। मरने के बाद भी और जीवन भर वो प्यार के लिए तरसते रहें। अपने प्रेमी से बेवफ़ाई और गलतफहमियांँ कई बार आत्महत्या करने पर मजबूर कर देती हैं तो कई बार जीना ही आत्महत्या करने समान लगता है।
यह दिल दहला देने वाली डरावनी कहानी ऐसे ही दो अजनबी सिद्धार्थ और साधना की है। जिसमें सिद्धार्थ की प्रेमिका दीपा ने आत्महत्या कर ली और साधना के प्रेमी सावन ने अपने जीवन को समाप्त कर लिया।
पर सबसे कठिन आत्महत्या कर रही है इस कहानी की नायिका साधना जिसने मौत नहीं जीवन को चुना है जो हर पल उसे मौत दे रहा है। दो लोगों की अधूरी प्रेम कहानी क्या अंजाम देती है और क्या होता है आत्महत्या करने के बाद...जानने के लिए जुड़े रहिए इस हॉरर स्टोरी से।
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भाग -1
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रात के दो बजे , जनवरी की कड़कती ठंड में एक अनजान सफ़र पर जा रही थी वो एक अजनबी के साथ अनजाने रास्तों में। सड़क के दोनों तरफ पेड़ ही पेड़, रात के उस सन्नाटे में ऐसा प्रतीत होता जैसे अनेकों बड़े बड़े विशालकाय लोग बाहें फैला कर उसका ही स्वागत कर रहे थे और उसे अपने में ही समा लेना चाहते थे।
कुछ घंटे पहले ही तो वह अजनबी व्यक्ति जो कार में पीछे वाली सीट पर उसके साथ बैठा है उसका जीवनसाथी बना। विवाह की सारी रस्में सात फेरे, सात वचन, सिंदुर, मंगलसूत्र, घूंँघट फिर विदाई सारी ही रस्में उसने निभाई खुद को सजा देते हुए।
हाँ..वो खुद को सजा ही तो दे रही थी अपने सावन से दूर होने की, तभी सारी रस्में इस तरह निभा रही थी जैसे अपने तन और मन को धारदार चाकू से खरोंच रही थी। आत्महत्या ही तो कर रही थी वो।
महीने भर पहले लगातार उसने खुदकुशी करने की कोशिश की पर हर बार माता पिता के बारे में सोच कर मन बदल लेती।वो तो मर जाएगी पर उसके बाद दुनिया वालों को मुँह दिखाने लाइक नहीं रहेंगे उसके माता पिता। सैकड़ों सवाल करती निगाहों से कैसे बचेंगे।
देखा था उसने पड़ोस में हुई कुछ ऐसी घटनाओं को जिसने उसे खुद को खत्म करने के लिए आत्महत्या करने से रोका था। फिर यही तरीका उसे सही लगा और उसने पिता के कहने पर उस लड़के से शादी के लिए हाँ कर दी जिसे ना कभी पहले उसने देखा था ना ही उसे और उसके परिवार को वो जानती थी।
एक दूर के रिश्तेदार के घर पर देखा था और पहली ही नजर में रामनाथ ने अपनी बेटी साधना के लिए पसंद कर लिया था। साधना की फोटो दिखाई गई और जब सिद्धार्थ की फोटो साधना को दिखाना चाहा उसने साफ इंकार कर दिया।
उसने तो शादी की सभी रस्मों के दौरान भी इस अजनबी जो कि अब उसका जीवनसाथी बना गया, कोशिश ही नहीं की एक बार भी उसके चेहरे को देखने की। सिर्फ एक ही चेहरा ज़ेहन में बसा था, उसकी जगह वो ताउम्र किसी को नहीं देगी।विवाह कर लिया तो क्या उसके मन पर सिर्फ और सिर्फ सावन का ही अधिकार है।
अपने परिवार की खुशी के लिए खुद को जिंदा लाश ही तो बना दिया था उसने। वो सिर्फ सावन की है किसी और की नहीं हो सकती।
कहाँ चला गया उसे इस तरह अकेला छोड़कर?
कितने सपने देखे थे उसने और सावन ने एक साथ। सब रेत महल की तरह ढह गए।
काश! कुछ ऐसा हो जाए कि इस गाड़ी का एक्सिडेंट हो जाए या इन जंगलों में रहने वाले डाकू लूटेरे हम पर हमला कर दें।ये सफर यहीं समाप्त हो जाए। यही सब तो चल रहा था साधना के मन में जो लाल रंग की बनारसी साड़ी और गहनों के बोझ तले दबी बैठी हुई थी।
ये लाल रंग बहुत पसंद था कभी साधना को क्योंकि यह रंग उसके सावन का फेवरेट कलर जो था, पर आज नफरत से देख रही थी खुद को जैसे खून से सनी बैठी है।
हाँ अपने अरमानों का गला घोट दिया था और माथे पर लाल सिंदुर, पैरों की महावर, कलाई में लाल लाह की चूड़ियां,लाल नेल पेंट सब कुछ उसे अपने लाल खून के रंग समान ही प्रतीत हो रहा था। बस अपनी हथेली पर लगी मेंहदी का काला पड़ चुका रंग उसे अपने भविष्य के काले अंधेरे के समान लग रहा था। जबकि हमेशा हाथों में मेंहदी लगाने पर जब भी रंग काला पड़ता सहेलियां उसे चिढ़ाते हुए कहती,
"यार तेरा पति तुझे बहुत प्यार करेगा।" और यह सुनकर वो शर्माती और भविष्य के सपने संजोती।
वो अपने आप में खोई हुई थी कि तभी...
तभी वो सफेद कार जो लाल गुलाब से सजी थी जिसमें साधना और सिद्धार्थ बैठे हुए थे , ऊबर खाबर रास्ते में हिचकोले खाते हुए रास्ते में पड़े पत्थर से टकराईं और एक चमगादड़ गाड़ी के सीसे से टकराता हुआ आगे बढ़ गया।
डर के मारे सिद्धार्थ ने कुछ पल आंखें बंद कर ली और ड्राइवर भी काँप उठा।
"ये इलाका बहुत ख़तरनाक है गाड़ी जरा संभल के चलाओ।" सिद्धार्थ ने ड्राइवर से कहा।
अपने डर को छिपाते हुए ड्राइवर बोला "हाँ साब जी चिंता मत कीजिए, मैं इन रास्तों से रोज ही गुजरता हूँ।आप बस अपना और नई दुल्हन का ध्यान रखिए। कहीं उन्हें डर तो नहीं लग रहा। सुना है बड़े शहर दिल्ली से आईं हैं। इन्होंने कहाँ कभी ऐसे जंगल देखे होंगे। शहरों में तो बस कंक्रीट के जंगल ही चारों तरफ नजर आते हैं।"
"तुम ठीक हो।" सिद्धार्थ ने साधना से पूछा।
साधना को तो कुछ पता ही नहीं चला,कब कार रास्ते में आए पत्थर के कारण रुकी,कब चमगादड़ ने खिड़की पर टक्कर मारी।वो तो जैसे कुछ महसूस ही नहीं कर पा रही थी।
सिद्धार्थ ने पानी की बोतल कार सीट के बैक से निकाली और आधा बोतल पानी एक ही घूंट में पी गया। इस ठंड में भी उसके चेहरे से पसीना टपक रहा था। वो भी कहाँ खुश था अपनी इस शादी से और इस डरावने सफर से।
फिर पानी की बोतल साधना की तरफ बढ़ाते हुए कहा," थोड़ा पानी पी लो सफर लंबा है करीब एक घंटा और लग ही जाएगा घर पहुंचने में।"
घर कौन सा घर?
उसके सपनों का महल चूर चूर हो गया था और जहाँ रहा करती थी अपने माता पिता के घर में आज तो वह वहाँ से भी पराई कर दी गई। ऐसा ही होता आया है और होता रहेगा हर लड़की को अपने सपनों का राजकुमार मिल जाए जिसकी वो कल्पना करती है ऐसा सिर्फ किस्से कहानियों में ही होता है।
उसकी कहानी तो अधूरी ही रह गई।
कोई जल्दी नहीं थी उसे मंजिल तक यानी सिद्धार्थ के घर अपने ससुराल पहली बार जाने की।
सिर ना में हिलाते हुए खिड़की से बाहर का नजारा देखा तो एक सिहरन सी दौड़ उठी उसके पूरे शरीर में।
यह क्या कर रही हूंँ मैं?
कहांँ जा रही हूँ?
इससे अच्छा तो चलती ट्रेन से ही कूद गई होती जब अपने शहर दिल्ली से इस जंगल वाले प्रदेश झारखंड के लिए निकले थे।
लड़के वालों की यह शर्त स्वीकार कर ली थी रामनाथ जी ने।बेटी वालों को झुकना ही पड़ता है इसमें कोई नई बात नहीं ऐसा ही तो कहा था उन्होंने और अपने पूरे परिवार समेत छोटी बेटी की शादी के लिए लड़के वालों के शहर आ गए थे।
"कार के आगे वाले दोनों टायर पंचर हो गए हैं साब जी।"
ड्राइवर कार से उतर कर मोबाइल का टॉर्च जला कर देख रहा था।
सिद्धार्थ जैसे ही उतरने को हुआ उसे लगा वहां अंधेरे में कोई उसे ही देख रहा है और धीरे धीरे उसके करीब आ रहा है। उसने झट से कार का दरवाजा बंद किया और ड्राइवर को भी कार के अंदर आने के लिए आवाज लगाई।
क्रमशः
Priyanka Rani
12-Sep-2022 04:38 PM
Great post
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Kaushalya Rani
12-Sep-2022 03:41 PM
Very nice
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Barsha🖤👑
12-Sep-2022 03:16 PM
Very nice
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